May 23, 2025
हम जैसे लोग ही बताएंगे महबूब की विरह।
हम ही जैसे लोगों को छोड़ा है मोहब्बत ने।।
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फितरत बन चुकी है दिल-ए-बेकरार की ।
अब तो आदत हो गयी आपके इंतजार की।
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जगा दे ख्वाब से मुझको मेरे करीब आकर,
कहां तुम चल दिए मेरे इतना करीब आकर।
मेरी धड़कन को आज जरा महसूस तो कीजिए,
यूं छू लीजिए दिल मेरा आज मेरे करीब आकर।।
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ऐ जिंदगी और कितने तजुर्बे कराएगी।
अरे बस कर, कोई तो अपना रहने दे!
क्या सबके चेहरे से नकाब हटाएगी ।।
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अक्ल आने में जरा देर क्या कर दी..।
जिंदगी ले चुकी तब तक इम्तिहान सारे।।
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सुर्ख लब मदहोश नजरें और ये कानों के झुमके।
इतने कम फासले पर तो मयखाने भी नहीं होते।।
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काश मेरी यादों में तुम कुछ ऐसे उलझ जाओ,
यहाँ तुम्हारे बारे में सोंचु, वहाँ तुम समझ जाओ।
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