May 18, 2025
मुझे इस कदर शौक था तुझसे मिलने का।
तेरा लहजा देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी।।
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सलीका सादगी सब आजमा के समझ आया।
बहुत नुकसान होता है अदब से पेश आने पर।।
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मगरूर जो कहती है तो कहती रहे दुनिया।
हम मुड़कर हर शख्स को देखा नहीं करते।।
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यह तेरा वहम है कि हम तुम्हें भूल जाएंगे।
वो शहर तेरा है जहां बेवफा बसा करते हैं।।
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सो जाओ तुम्हारी नरम आंखें सुर्ख ना हो जाएं नींद से। हमारा क्या हम तो लोगों से वफा करने की सजा काट रहे हैं।।
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तख्त के सामने सर झुकाए जाते होंगे शायद।
वक्त के सामने तो तख्त गिराए जाते हैं ।।
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अब ना कोई शिकवा ना कोई गिला ना कोई मलाल रहा। सितम उनके भी बेमिसाल रहे सब्र अपना भी कमाल रहा।।
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हम भी रह चुके हैं अजीज किसी के।
वाकिफ हैं हम भी चार दिन की मोहब्बत से।।
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महक रहे हैं महफिलों में किरदार उनके भी।
जिन्होंने खुद के सगे भी बर्बाद कर डाले ।।
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