भाग्य का ह्रास होने से मनुष्य की संपदाओं का विनाश हो जाता है, न कि उपभोग करने से।
मनुष्य के चित्त में जैसा विश्वास होता है वैसा ही उन्हें अपने कर्मों का फल प्राप्त होता है, क्योंकि मछुआरे प्रतिदिन प्रातः काल जाकर नर्मदा नदी का दर्शन करते हैं किंतु शिवलोक तक नहीं पहुंच पाते।
दुलार में बहुत से दोष हैं और ताड़ना में बहुत से गुण हैं, अत: शिष्य एवं पुत्र को अनुशासित रखना चाहिए।
जो मनुष्य नख से पृथ्वी पर लिखता है, चरणों का प्रक्षालन नहीं करता, केश संस्कार विहीन रखता है, नग्न शयन करता है, परिहास अधिक करता है, अपने अंग व आसन पर बाजा बजाता है, तो उसे लक्ष्मी जी त्याग देती हैं ।
एक ही व्यक्ति में सभी ज्ञान प्रतिष्ठित रूप में नहीं रहते। इसीलिए यह सर्वमान्य है कि सभी व्यक्ति सब कुछ नहीं जानते हैं और कहीं पर भी सभी सर्वज्ञ नहीं है।