मिलते जुलते हैं लोग यहां जरूरत के लिए। हम तेरे शहर में आए हैं मोहब्बत के लिए। वो भी आखिर तेरी तारीफ में ही खर्च हुआ। मैंने जो वक्त निकाला था शिकायत के लिए।।
उन घरों में जहां मिट्टी के घड़े रहते हैं। कद में छोटे मगर लोग बड़े रहते हैं।। हमने फल देखकर इंसान को पहचान है, जो बहुत मीठे हों, वो अंदर से सड़े रहते हैं।।