वक्त पर बेहतरीन शेरों - शायरी

मैं तन्हाई को तन्हाई में तन्हा कैसे छोड़ दूं!
तन्हाई ने तन्हाई में मेरा तन्हा साथ दिया था।।

पूछा हाल शहर का तो सर झुका के बोले।
लोग तो जिंदा हैं जमीरों का पता नहीं।।

दिल की ना सुन यह फकीर कर देगा!
वो जो उदास बैठे हैं नवाब थे कभी।

वहम न पाल दिल से उतर जाएगा।
वक्त का क्या गुजरता है गुजर जाएगा।।

तुम्हें मुझमें ना शायद "पहली सी बात" मिले!
खुद अपने वास्ते अब "कोई दूसरा" हूं मैं।।

तलाश न जाने किसकी है इन आंखों को?
हासिल सब कुछ है मगर तसल्ली फिर भी नहीं।

कोई हमदर्द हमने जमाने में न पाया..!
दिल को हसरत ही रही "कोई हमारा होता"।

दुआ करो कि किसी का दिल न लगे तुमसे।
लगे तो और किसी से लगा हुआ न लगे।।

किसी ने मोहब्बत तो किसी ने प्यार लिखा।
किसी ने प्रतिक्षा तो किसी ने इंतजार लिखा।।
शब्दों का ही जादू है कि कोई पसंद आया।
किसी के समझ आया किसी ने इंकार लिखा।।

राह-ए-वफा में हमको खुशी की तलाश थी।
दो कदम ही चले कि हर कदम पर रो पड़े।।

इतने दर्द के बाद भी मुस्कुरा रहा हूँ ।
ऐ जिन्दगी देख तुझे कैसे हरा
रहा हूँ।।

जरा रूको तो रिझाने में वक्त लगता है।
बुरे दिनों को भुलाने में वक्त
लगता है।।
हर किसी से रखें ताल्लुक कोई खास बात नहीं।
पर किसी को
अपना बनाने में वक्त लगता है।
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बुरा वक्त तजुर्बा तो देता है,
मगर मासूमियत छिन लेता है।
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वक्त जब करवट लेता है तो,
सल्तनत से शहजादे भी उठा लिए जाते हैं।
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आप भी आईना देखके समझने की कोशिश करेंगे,
एकदिन अपने आपको जानने की कोशिश करेंगे।
जिंदगी जब कांच की तरह तोड़कर तबाह कर देगी,
उन टूटे हुए टुकड़ों को समेटने की कोशिश करेंगे।।

बुरा वक्त तो सबका आता हैं।
कोई बिखर जाता हैं कोई निखर जाता है।
तुझे चाहने वाले भी कम ना होंगे,
वक्त के साथ शायद हम ना होंगे।
चाहे किसी को कितना भी प्यार देना,
पर तेरी यादों के हकदार सिर्फ हम होंगे।।
कितना भी पकड़ो फिसलता जरूर है।
यह वक्त है साहब बदलता जरूर
है।।

वक्त की यारी तो हर कोई कर लेता है,
मजा तो तब है जब,
वक्त बदले पर दिलदार न बदले।।
वक़्त नूर को बेनूर कर देता है,
छोटे से जख़्म को नासूर कर देता है।
कौन चाहता है अपनों से दूर
रहना,
पर वक़्त सबको मजबूर कर देता है।।

तुझे वक्त के साथ तो चलना पड़ेगा।
जो बदलेगा रूट तो बदलना
पड़ेगा।।

वक्त की रफ़्तार भी रुक गयी होती,
शर्म से आँखें झुक गयी होती।
अगर दर्द जानती शमा परवाने का,
तो जलने से पहले ही बुझ गयी होती।।
वो वक़्त भी बहुत खास होता है।
जब सर पर माता-पिता का हाथ होता है।।
वक्त चाहे जैसा भी हो बीतता जरुर है।
आदमी अगर ठान ले तो,
वक्त से जीतता जरूर है।
वक्त का खास होना जरूरी नही,
खास लोगों के लिए वक्त होना जरूरी है !
Waqt shayari in Hindi
ये वक्त गुजरता रहता है,
इंसान भी हमेशा बदलता रहता है।
संभाल लो खुद को तुम जनाब,
वक्त खुद चीख कर कहता है।।
वक्त मौसम व लोगों की एक ही फितरत है,
कब कहाँ बदल जाए कुछ कह नहीं सकते !

मेरे महबूब की प्यारी बातें,
मेरे हर पल को हसीन बनाती है।
इंतजार भी करता हूं उसका, तो
उस वक्त को भी सुंदर बनाती है।।
कभी वक्त मिला तो जुल्फें तेरी सुलझा दूंगा।
आज खुद उलझा हूं वक्त को सुलझाने में।।

अभी तो थोडा वक्त हैं उनको आजमाने दो।
रो-रोकर पुकारेंगे वो हमारा वक्त तो आने दो।।
धीरज से पढ़ लेंगे खामोशियों को,
अभी उलझनों में उलझे हैं,
जरा वक्त लगेगा संभलने में।।
ग़र रोऊंगा तो पलकों पे नमी रह जायेगी,
ज़िन्दगी बस नाम की जिन्दगी
रह जायेगी।
ये नहीं कि तुम बिन जी न पाउँगा, हाँ मगर
जिन्दगी में हर वक्त एक तेरी कमी रह जायेगी।।
वो जो बदलने का बहुत शौक रखते थे,
आखिरी वक्त न कह पाये कफ़न ठीक नही !
ज़िन्दगी की भी अजीब सी कहानी है,
किसी के साथ हम वक़्त भूल जाते
है,
तो कोई वक़्त के साथ हमें भूल जाता है।
आज तेरा वक्त है, तो कल मेरा भी होगा।
ग़र अभी है शाम, तो कल सबेरा भी होगा।।
एहसान तुम्हारे एकमुश्त किश्तों में चुकाए हैं हमनें,
कुछ वक्त लगा पर अश्कों के सूद चुकाए हैं हमनें।।
फुर्सत निकालकर आओ तो कभी मेरी महफ़िल में।
लौटते वक्त शायद दिल नहीं पाओगे अपने सीने में।।
वो तो वक्त सी थी जो गुजर गई।
और मैं यादों सा था जो ठहर गया।।
कितना भी समेट लो हाथों से फिसलता ज़रूर है।
ये वक्त है प्रिये ! बदलता ज़रूर है।।
बुरे वक्त में जो साथ दे वही होते हैं अपने,
बीच राहों में जो छोड़ दें, वो नहीं होते अपने !
तो क्या हुआ अग़र महंगे
खिलौने के लिए जेब में पैसे नहीं।
मैं वक्त देता हूँ अपनों बच्चों को,
जो अमीरों को मयस्सर नहीं।।
ए वक्त जरा संभल के चल,
कुछ लोगों का कहना है, तू बहुत बुरा है।
कौन कहता है कि वक्त बहुत तेज गुजरता है।
कभी किसी का इंतजार करके तो देखो।।
वक्त रहते अगर बात हो जाती,
तो शायद बात ज्यादा नहीं बिगड़ पाती !
प्यार अगर सच्चा हो तो कभी नहीं बदलता,
न वक्त के साथ, न हालात के साथ।।
वक्त नहीं लगता दिल को दिल तक आने में।
पर सादियों लग जाती हैं एक रिश्ता भूलने में।
मैं तो वक्त से हार कर सर झुकाए खड़ा था,
सामने खड़े लोग ख़ुद को बादशाह समझने लगे।।
औरों की मर्जी से कभी जिया नहीं करते।
हम वक्त पर अफसोस किया नहीं करते।।

खूब करता है, वो मेरे ज़ख्मों का इलाज।
कुरेद कर देख लेता है कहता है वक्त लगेगा।।
वक़्त बदलने से उतनी तकलीफ नहीं होती।
जितनी अपनों के बदल जाने से होती है।।

काश गुमराह दिल को ये बात मालूम होती,
मोहब्बत उस वक्त तक दिलचस्प है,
जब तक नहीं होती।।
तुम्हारा किया तुम्हें जरूर बतलाता है।
समय आइना जरूर दिखलाता है।।
शायद यह वक़्त हमसे कोई चाल चल गया,
रिश्ता वफ़ा का और ही रंगों में ढ़ल गया।
अश्क़ों की चाँदनी से थी बेहतर वो धूप ही थी,
चलो किसी मोड़ से शुरू करें फिर से नयी जिंदगी।
दिल खोल कर हंसना तो मैं भी चाहता था।
जिम्मेदारियों के बीच कभी वक्त नही मिला।।

बुरा हो वक्त तो सब आजमाने लगते हैं,
बड़ो को छोटे भी आँखे दिखाने लगते हैं।
नये अमीरों के घर भूल कर भी मत जाना,
वे हर एक चीज की कीमत बताने लगते हैं।।

वक्त की धुंध में छुप जाते हैं कई ताल्लुक,
कई दिनों तक किसी की आँख से ओझल ना रहिये।।