दुष्यंत कुमार: नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो है दुष्यंत कुमार: नाव जर्जर ही सही इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है, नाव जर्जर ही सही लहरों से टकराती तो है।
राहत इंदौरी: खड़े हैं मुझको ख़रीदार देखने के लिए खड़े हैं मुझको ख़रीदार देखने के लिए खड़े हैं मुझको ख़रीदार देखने के लिए, मै घर से निकला था बाज़ार देखने के लिए। हज़ार बार हज़ारों की सम्…
तुमने मुझसे मुख मोड़ लिया: सुषमा गौर तुमने मुझसे मुख मोड़ लिया तुमने मुझसे मुख मोड़ लिया, मैंने ख्याबों से सुख जोड़ लिया। जन्म जन्म का नाता था जो, तुमने कैसे सब छोड़ दिया।। हृदय में अब पीर…
"रण-बीच चौकड़ी भर-भरकर चेतक बन गया निराला था" पढें श्री श्यामनारायण पांडेय जी की पूरी कविता रण-बीच चौकड़ी भर-भरकर भारतभूमि वीरों की जननी है, जहाँ शौर्य, पराक्रम और बलिदान की गाथाएँ पीढ़ी-दर-पीढ़ी गूंजती रही हैं। वीरों की इसी धरती पर ऐसे अने…
दो दिन की ज़िंदगी का मज़ा हम से पूछिए - ख़ुमार बाराबंकवी की गजल दो दिन की ज़िंदगी का मज़ा हम से पूछिए
वो आदमी भी यहाँ हम ने बद-चलन देखा - पढिये गोपालदास नीरज की लाजवाब कविता वो आदमी भी यहाँ हम ने बद-चलन देखा
मैं आइनों से तो मायूस लौट आया था, मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं; राहत इंदौरी की धमाकेदार शायरी मैं लाख कह दूँ कि आकाश हूँ ज़मीं हूँ मैं, मगर उसे तो ख़बर है कि कुछ नहीं हूँ मैं। अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को, वहाँ पे ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं ह…
ख़याल जिस का था मुझे ख़याल में मिला मुझे - मुनीर नियाज़ी ख़याल जिस का था मुझे ख़याल में मिला मुझे, सवाल का जवाब भी सवाल में मिला मुझे। गया तो इस तरह गया कि मुद्दतों नहीं मिला, मिला जो फिर तो यूँ कि वो मलाल …
वो लोग मेरे बहुत प्यार करने वाले थे - जमाल अहसानी वो लोग मेरे बहुत प्यार करने वाले थे, गुज़र गए हैं जो मौसम गुज़रने वाले थे। नई रुतों में दुखों के भी सिलसिले हैं नए, वो ज़ख़्म ताज़ा हुए हैं जो भरने व…
नालायक नाकाम निकम्मा, सब कहते आवारा लड़का - कविता सब कहते आवारा लड़का - कविता नालायक नाकाम निकम्मा, सब कहते आवारा लड़का । दुनिया के हर घर में अक्सर, मिलता ये बेचारा लड़का। पहली बार गिरा था जब ये,…
'कभी नहीं, कभी नहीं' वाली कविता 'कभी नहीं, कभी नहीं' कविता इस पोस्ट में एक ऐसी कविता दी गयी है जिसे लेखन ने अपना का मनोरंजक व सामाजिक बुद्धि का उपयोग करके 'कभी नहीं, क…
क्यूं आज वो फिर मेरा पता ढूंढ़ रहा है पतझड़ में बहारों की फिज़ा ढूंढ रहा है, पागल है जो दुनिया में वफ़ा ढूंढ़ रहा है। ख़ुद अपने ही हाथों से वो घर अपना जलाकर, अब सर को छुपाने की जगह ढूंढ़ …
परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है, ज़मीं पे बैठके क्या आसमान देखता है। मिला है हुस्न तो इस हुस्न की हिफ़ाज़त कर, सँभल के चल तुझे सारा जहान देखता है।।…
कुछ मिला ही नहीं है मलाल करके - Suman Lata KUCH MILA HI NAHI MALAL KARKE कुछ मिला ही नहीं है मलाल करके, हमने देखा है खुद से सवाल करके। जिसे देख कर तुम दिल हार बैठे हो , चला जाएगा एक दिन बवाल…
जो मेरा हो न सका वो किसी का क्या होगा - सपना मूलचंदानी नहीं ये फ़िक्र कि वो शख़्स बेवफ़ा होगा, जो मेरा हो न सका वो किसी का क्या होगा। ये सोच कर के त'आरुफ़ नहीं दिया अपना, ज़रूर तुम ने मेरे बारे में सु…
समय चेतावनी दे तब समय रहते... - Poem on Time BEST POEM ON TIME समय चेतावनी दे तब समय रहते सुधर जाओ, समय की बात मानो तुम समय को यूं ना भरमाओ। समय बीतेगा तो केवल निराशा हाथ आयेगी, लड़ाई हार जाओगे …
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं - Jan Nisar Akhtar Gajal by J an Nisar Akhtar अशआ'र मिरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं, कुछ शेर फ़क़त उन को सुनाने के लिए हैं। अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें, कुछ…