Bewafa Shayari in Hindi
तुझे चाहा तो हद से ज्यादा ही था,
पर तुम किसी के हो तो उसी के रहो।
याद रखना ही मोहब्बत में नहीं है सब-कुछ,
भूल जाना भी बड़ी बात हुआ करती है।।
तेरी मुहब्बत की तलब थी,
तो हाथ फैला दिया हमने।
वरना हम तो अपनी जिंदगी के लिए
कभी दुआ भी नहीं मांगते।।
ना दर्द को दर्द समझे ना अश्क को अश्क समझे।
जो खुद फरेबी थे, मेरे हर सच को फरेब समझे।।
बेशक शुद्ध शब्दों से लिखूंगा कहानी तुम्हारी,
लोग पढ़ेंगे जरूर मगर चप्पल उतार कर।।
वो लड़का जो अब तुम्हारा होना नहीं चाहता।
वो कभी तुम्हारा होकर भी तो देखा होगा।।
तूं तंग बहुत थी मेरे इजहार जुनून से,
ले मैं तेरी तलब भूल गया, अब खुश।।
अब तेरे वास्ते ले आऊं मैं कहां से उसको।
जो मैं था उसको तो दफनाए अरसा हो गया।।
मजबूर नहीं करेंगे वादे निभाने के लिए। बस
एकबार लौटके आजा यादें ले जाने के लिए।
Ab kahaan duaon mein vo barakaten hai,
Vo naseehaten vo khoob hidaayaten.
Ab to bas matalabon ke jooloos hain,
Aur bas jarooraton ke salaam..
बस एक मेरी मोहब्बत ही ना समझ पायी तुम...।
बाक़ी मेरी हर गलती का हिसाब बराबर रखती हो।।
नसीब मेरा मुझसे ना जाने ख़फ़ा हो जाता है।
मैं जिसको अपना मानूं वो बेवफा हो जाता है।।
Top Bewafa Shayari in Hindi
वफ़ा का नाम ना लो यारों, ए दिल को दुखाती है।
वफ़ा का नाम लेते ही बेवफा की याद आती है।।
उन्हें अफसोस होगा मुझे ठुकराने का,
मेरे प्यार के इजहार से मुकर जाने का।
उस दिन महसूस होगा उन्हें मेरा दर्द-ए-मोहब्बत,
और वो रो भी ना सकेंगे आंसू छिपाकर।।
हमें तो बस तेरी बेरुखी ने बेबस कर रखा है।
वरना हमने तो बेबसी को बेबस कर रखा है।।
हंसकर कबूल क्या कर ली इक सजा को मैंने।
आपने दस्तूर ही बना लिया;
हर इल्जाम मुझ पर लगाने का।।
जो तू दे गई दिल को, वो मर्ज़ आज भी है।
ज़ख़्म भर गए है, लेकिन दर्द आज भी है।।
Tum daur the jo guzar gae. Ham to
jamaana hain saahab! tike rahenge..
तू चली गई छोड़कर मुझे मगर एक बात याद रखना,
तेरे सर पे मेरी मोहब्बत का कर्ज आज भी है।।
आंखों के पर्दे भी नम हो गए।
बातों के सिलसिले भी कम हो गए।।
पता नहीं गलती किसकी है;
बुरा वक्त है या बुरे हम हो गए।।
न मिलता गम तो बर्बादी के अफ़साने कहाँ जाते,
गर जिंदगी हमेशा होती चमन तो वीराने कहाँ जाते।
चलो अच्छा हुआ अपनों में कोई गैर तो निकला,
सभी गर अपने होते तो बेगाने कहाँ जाते।।
बिन तेरे जीने में क्या रखा है।
अब खोने को कुछ बाकी कहां रखा है।।
जिन्दा हूँ तो सिर्फ तुझे पाने की चाह में ।
वरना जुदाई का जहर पीने में क्या रखा है।।
लोग हमको तो बुरा कहते ही है,
तुम भी कह दे तो क्या बुराई है।
अच्छे अच्छों ने हमको धोखा दिया,
तुम भी दे दो तो क्या बुराई है।।
अबसे ना करेंगे तुमसे कोई सवाल।
काफी हक़ जताने लगे थे, माफ करना यार..
असली हीरे की चमक नहीं जाती।
अच्छी यादों की कसक नहीं जाती।।
पर पता नहीं तूं कैसे हो गई बेवफा।
दूर होने पर भी तेरी महक नहीं जाती।।
अपने सिवा ना तुने कुछ भी देखा बेवफा।
तु ही बता दे मुझसे क्या हो गई खता।।
मैंने तो तुझसे प्यार किया, तुझको ही चाहा।
फिर तू किस लिए मुझको ऐसी दे गयी सजा।।
अक्सर तुम्हारे प्यार में जलना पड़ा मुझे।
फिर भी तुम्हारे साथ में चलना पड़ा मुझे।।
मैं बेवफा नहीं हूं, यकीन मेरा कीजिए।
जब तुम बदल गए तो बदलना पड़ा मुझे।।
Fursat kise thi jo mere hal puchhe.
Hr shakhs apne bare me sochata mila..
जिसमें कई राज दफन हैं एक ऐसा कब्रिस्तान हूं मैं,
मेरी शायरी पर यकीं कर एक बेवफा इंसान हूं मैं!
टूटे हुए प्याले में जाम नहीं आता।
इश्क़ में मरीजों को आराम नहीं आता।।
ये बेवफा दिल तोडनें से पहले ये सोचा होता।
कि टूटा हुआ दिल किसी के काम नहीं आता।।
आप बेवफा होंगे सोचा ही नहीं था,
आप भी कभी खफा होंगे सोचा ही नहीं था,
जो गीत लिखे थे कभी प्यार में तेरे,
वही गीत कभी रुसवा होंगे सोचा ही नहीं था।।
वो मिली तो क्या मिली बन के बेवफा मिली।
इतने मेरे गुनाह ना थे जितनी सजा मिली।।
बड़े शौक से उतरे थे इश्क़ के समंदर में।
एक ही लहर ने ऐसा डुबोया कि,
आज तक किनारा नहीं मिला।।
शक तो था मोहब्बत में नुक़सान होगा,
पर सारा हमारा ही होगा ये मालूम न था !!
मैं तेरे शहर से जब चला जाऊंगा।
फिर देखना तुझको कितना याद आऊंगा।।
चाहे कर ले तू मुझ पर सितम कितने भी।
तुझसे करके मैं फिर भी वफ़ा जाऊंगा।।
आज उसे आवाज देकर बुलाने का भी हक नहीं,
कभी जो आंखों के एक इशारे से लिपट जाती थी।
Hr sham utarata hai dil kee dehalij par,
Hamase pahare yad pe lagae nahin jate.
बेवफा तो वो खुद थी,
पर इल्ज़ाम किसी और को देती है।
पहले नाम था मेरा उसके होठों पर,
अब वो नाम किसी और का लेती है।।
बहारों के फूल एक दिन मुरझा जायेंगे,
भूल से कहीं याद तुम्हें हम आ जायेंगे।
अहसास होगा तुमको हमारी मोहब्बत का,
जब कहीं हम तुमसे बहुत दूर चले जायेंगे।।
मेरे इश्क का स्वाद तुमने चखा ही नहीं,
थोड़ा कड़वा ही तो था, मगर बेवफा नहीं।
कभी गम तो कभी तन्हाई मार गयी;
कभी याद आकर उसकी जुदाई मार गयी।
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने;
आखिर में उसकी ही बेवफाई मार गयी।।
दिल चाहता है आज फिर एक पैग़ाम दे दुं;
मरते दम तक तुझे चाहने की जुबां दे दुं।
ना कोई हसरत रखूं, ना रखू कोई आरज़ू;
बस तेरी खामोशी को वफा का नाम दे दुं।।
उसके चेहरे पर इस कदर नूर था;
कि उसकी यादों में तो रोना भी मंज़ूर था।
बेवफ़ा भी तो नहीं कह सकते उसको जालिम;
प्यार तो हमने किया, वो तो बेकसूर था।।
मत करो मोहब्बत अब किसी से,
अब तो जिस्म के भी बाजार हैं।
हम भी उस बेवफा से दिल लगा बैठे,
जिसके पहले से खुद आशिक हजार हैं।।
