Top Majburi shayari Collection in Hindi | मजबूरी पर शायरी

पेश है मजबूरी और बेबसी पर लिखी गई दिल छू लेने वाली Majburi Shayari, पढ़िए और साझा कीजिए वो अल्फाज़ जो आपकी खामोशी को आवाज़ देते हैं।

Best Majburi shayari Collection

ज़िंदगी में हर इंसान कभी न कभी ऐसी हालत से गुज़रता है, जहाँ चाहकर भी कुछ नहीं कर पाता — यही होती है मजबूरी। दिल की इन्हीं उलझनों और बेबसी को बयां करने के लिए शायरी एक सशक्त ज़रिया है।

"मजबूरी" जिंदगी का एक सच्चाई का परिचय है जिससे कोई भी अपरिचित नहीं है। इसी मजबूरी के साथ जुड़ी भावनाओं को शब्दों में अभिव्यक्त करने का एक उत्कृष्ट तरीका है 'मजबूरी पर शायरी'। यह शायरी कविता की रूपरेखा में वह मोहक और मंगलमय साहित्यिक रूप लेती है, जो हर दिल को छू लेती है। 

Majburi Shayari in Hindi - दिल की मजबूरी पर शायरी

इस विशेष शैली के माध्यम से हम अपनी मजबूरियों, अनिवार्य चुनौतियों और असाधारण आवश्यकताओं को साझा करते हैं, जो हमारे जीवन की अस्थायीता को समझाते हैं। इस पोस्ट में हम आपके लिए लाए हैं मजबूरी पर दिल को छू लेने वाली शायरी का चुनिंदा कलेक्शन — MAJBURI SHAYARI, जो आपके जज़्बातों को जुबान देंगे। तो आइए, इस महत्वपूर्ण और सुंदर विधा के माध्यम से हम एक-दूसरे के साथ जुड़ें और अपनी मजबूरियों को समझें और महसूस करें।

मजबूरी पर बेहतरीन शेरों - शायरी

मयखाने से पूछा आज इतना सन्नाटा क्यों है?
कहा लहू का दौर है साहब शराब कौन पीता है।

Majburi ki Shayari - जब हालात साथ न दें

चांद से मुखड़े को अश्कों से भिगोती क्यों हो?
मैं तेरा कौन हूं तुम मेरे लिए रोती क्यों हो।

Dard Bhari Majburi Shayari in Hindi

वो अंत तक वफादारी निभाती भी तो कैसे?
मैं ना तो पहली ना ही आखिरी मोहब्बत था।

मजबूरी और बेवफाई पर शायरी हिंदी में

किनारे से लौट गयी हैं तो कमजोर ना समझो।
ये लहरें एक पल में शहर उजाड़ सकती हैं।।

Majburi Shayari in Hindi - मजबूरी के जज़्बात

ज्यादा अच्छा होना भी बेवकूफी है। पता 
नहीं चलता लोग कदर कर रहे हैं कि इस्तेमाल।

आपने तो सिर्फ सुना है हम पर बीती है।
यह जो मोहब्बत है ना सच में खून पीती है।।

Emotional Majburi Shayari

रक्स दिल है जारी तेरे इश्क के साजों पे।
कोई ऐसा सुर ना छेड़ कि दिल तड़प के मर जाए।।

Majburi Shayari with Images - कोई ऐसा सुर ना छेड़

अपनी निगाहों को एक चेहरे पर पाबंद रखो।
हर सूरत पे लुट जाना तौहीन-ए- वफा होती है।।

Majburi Shayari in Hindi - अपनी निगाहों को एक चेहरे पर पाबंद रखो

तू भी खामख्वाह बढ़ रही है ए धूप...!
इस शहर में पिघलने वाले दिल ही नहीं।

कोई और होगा मेरी जगह यकीनन, मगर सुनो
रह जाएगी हमेशा मेरी कमी कहीं न कहीं।।

Majburi Hindi Shayari - कोई और होगा मेरी जगह यकीनन

आधियां आई तो पलकों की कीमत पता चला।
आंखों को बड़ा गुरूर था सब दिखता है उन्हें।।

Majburi Best Hindi Shayari - आधियां आई तो पलकों की कीमत पता चला

हमारे पास सुनाने को कुछ नहीं है यार,
हमें तो ख्वाब भी सोचे जमाना हो गया।

Top Majburi shayari - हमारे पास सुनाने को कुछ नहीं है यार

लड़कियां तो खुलेआम रो देती हैं दोस्त ..!
दर्द अंदर छुपाके हंसना सिर्फ लड़के जानते हैं।

Majburi shayari for boys - लड़कियां तो खुलेआम रो देती हैं दोस्त

तेरी मर्जी है लेकिन यह बात ठीक नहीं।
कि तेरे होते हुए भी मैं तेरे लिए तरसूं।।

Majburi Shayari for Girls - तेरे होते हुए भी मैं तेरे लिए तरसूं

कुछ लुट गया कुछ लुटा दिया।
कुकछ मिट गया कुछ मिटा दिया।।
जिन्दगी ने कुछ यूं आजमाया हमें।
कुछ छिन गया कुछ गवां दिया।।

Emotional Majburi shayari in Hindi

जीना चाहा तो जिंदगी से दूर थे हम,
मरना चाहा तो जीने को मजबूर थे हम।
सर झुका कर कबूल कर ली हर सजा,
बस कसूर इतना था कि बेकसूर थे हम।।

Dard Bhari Majburi shayari

मजबूरियों के नाम है जिंदगी,
कही सुबह तो कहीं शाम है जिंदगी।
आप मुझे मजबूर ना करो इश्क करने को,
कहीं छुपी तो कहीं सरेआम है जिंदगी.!!

ये मज़बूरी ही है जनाब,
जो अंदर से बेरहम बनाती है।
इससे बच के रहना जनाब,
ये इंसान को तबाह करने में,
बिलकुल भी नहीं हिचकिचाती है।।

किसी की मजबूरी कोई समझता नहीं !
दिल टूटे तो दर्द होता है पर हर कोई कहता नहीं !

उसकी बेवफाई के चर्चे सारे शहर मे थे,
उसकी मजबूरी उसके भीतर ही दफन हो गई !

मजबूरी पर शायरी

मजबूरी में जब कोई जुदा होता है,
जरूरी नहीं की हर वो सख्स बेवफा होता है।
दे कर वो आपकी आँखों में आँसू,
अकेले में आपसे भी ज्यादा रोता है !

क्या करें नशे में नहीं चूर थे हम..!
ऐ जिंदगी बहुत मजबूर थे हम।।

मजबूरी पर शायरी

ऐसा नही है की वक्त ने मौका नहीं दिया,
हम आगे बढ़ सकते थे पर तूने मजबूर किया !

कभी गम तो कभी ख़ुशी देखी,
हमने अक्सर मजबूरी और बेबसी देखी।
उनकी नाराज़गी को हम क्या समझें,
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी !!

क्या गिला करें तेरी मजबूरियों का हम,
तू भी इंसान है कोई खुदा तो नहीं।

मजबूरी पर शायरी

मेरा वक़्त जो होता मेरे मुनासिब,
मजबूरिओं को बेचके तेरा दिल खरीद लेता।।

मजबूरी पर शायरी

होगी कोई मजबूरी उसकी भी,
जो बिन बताएं चला गया,
वापस भी आया तो किसी और का होकर आया !

आप की याद में रोऊं भी न मैं रातों को,
हूं तो मजबूर मगर इतना भी मजबूर नहीं।।

उसे चाहना हमारी कमजोरी है !
वो क्यू न समझते हैं हमारी खामोशी को।
उनसे कह न पाना हमारी मजबूरी है !

थके लोगों को मजबूरी में चलते देख लेता हूँ!
मैं बस की खिड़कियों से ये तमाशे देख लेता हूँ।

हिम्मत इतनी कि समुद्र भी पार कर सकते थे,
मजबूर इतना हुए दो बुंद अश्कों ने डुबा दिया।

मजबूरी पर शायरी

आप दिल से यूँ पुकारा ना करो !
हमको यूँ प्यार से इशारा ना करो,
हम दूर हैं आपसे ये मजबूरी है हमारी,
आप तन्हाइयों मे यूँ रुलाया ना करो !

हम मजबूरी में काम करते रहे हर वक्त।
जब लौट के आये तो कोई था ही नहीं हमारा।।

हरा सकती है! डरा सकती है!
वो मजबूरी है! इंसान से कुछ भी करा सकती है।

हमें सीने से लगाकर हमारी कसक दूर कर दो।
हम सिर्फ तुम्हारे हो जाएँ हमें इतना मजबूर कर दो।।

मजबूरी पर शायरी

बोझ उठाना किसी का शौक कहाँ है,
ये तो बस मजबूरी का सौदा है।

मजबूरियों की चादर ओढ़ कर निकलता हूं घर से,
वरना मुझे भी शौक था बारिशों में भीगने का।।

आपने तो मजबूर कर दिया,
जाने क्यों खुद से दूर कर दिया।
अब भी यही सवाल रहता है दिल में,
हमने ऐसा क्या कसूर कर दिया।।

रिश्तों को निभाने की मजबूरी पुरानी है,
जिंदगी तो जैसे समझौतों की कहानी है।
दुनिया के अंदर तो धोखे का समंदर है,
यहाँ हम करते वफ़ा, तो मिलती बदनामी है।।

ऐसी भी क्या मजबूरी आ गई थी जनाब।
आपने हमारी चाहत का कर्ज धोका दे कर चुकाया!

बहाना बनाते है लोग अपनी मजबूरी बताकर।
किसी का दिल भी टूट जाये,
तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता उन्हें।

किसी की अच्छाई का इतना फायदा मत उठा !
कि वो बुरा बनने के लिए मजबूर हो जाये।

बहाना कोई तो दे ऐ जिंदगी !
कि जीने के लिए मजबूर हो जाऊँ।

वो हमेशा बात बनाती क्यों थी,
मेरी झुठी कसम खाती क्यों थी।
मजबूरियों का बहाना बना कर,
मुझसे हर रोज दामन छुड़ाती क्यों थी !

मजबूर इस दिल की धड़कन,
तुम सुनने की कोशिश तो करते।
जा रहा हूं दूर तुम्हारी जिंदगी से,
मुझे रोकने का दिखावा तो करते।।

कितने मजबूर हैं हम प्यार के हाथों,
ना तुझे पाने की औकात,
ना तुझे खोने का हौसला !

अपने टूटे हुए सपनों को बहुत जोड़ा,
वक्त और हालत ने मुझे बहुत तोड़ा।
बेरोजगारी इतने दिन तक साथ रही कि,
मजबूरी में हमने शहर तेरा छोड़ा !

मजबूरी पर शायरी - अपने टूटे हुए सपनों को बहुत जोड़ा

हमने खुदा से बोला वो छोड़ के चले गये !
न जाने उनकी क्या मजबूरी थी।
खुदा ने कहा इसमें उसका कोई कसूर नहीं !
ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी।।

ये न समझ कि मैं भूल गया हूँ तुझे,
तेरी खुशबू मेरी सांसो में आज भी है।
मजबूरी ने निभाने न दी मोहब्बत,
सच्चाई तो मेरी वफा में आज भी है !

दोनों का मिलना मुश्किल है, दोनों हैं मजबूर बहुत।
उस के पाँव में मेहंदी लगी, तो मेरे पाँव में छाले हैं।

कभी गम तो कभी खुशी देखी,
हमने अक्सर मजबूरी और बेबसी देखी।
उनकी नाराजगी को हम क्या समझें,
हमने तो खुद अपनी तकदीर की बेबसी देखी !

क्यूँ करते हो वफा का सौदा,
अपनी मजबूरिओं के नाम पर।
मैं तो अब भी वो ही हूँ,
जो तेरे लिए जमाने से लड़ा था।।

इधर से भी है सिवा कुछ उधर की मजबूरी,
कि हम ने आह तो की उन से आह भी न हुई !

गिरे इंसान को उठाने आएं ना आए ये ज़माने वाले,
मजबूरी में पड़े इंसान से फायदा उठाने ज़रूर आएँगे।

मेरे दिल की मजबूरी को कोई इल्जाम न दे,
मुझे याद रख बेशक मेरा नाम न ले।
तेरा वहम है कि मैंने भुला दिया तुझे,
मेरी एक भी साँस ऐसी नहीं जो तेरा नाम न ले।।

हर इंसान यहां बिकता है,
कितना सस्ता या कितना महंगा।
यह उसकी मज़बूरी तय करती है।।

क्या बयान करें तेरी मासूमियत को शायरी में हम,
तू लाख गुनाह कर ले सजा तुझको नहीं मिलनी !

उसे हमने बहुत चाहा था पर पा न सके,
उसके सिवा ख्यालों में किसी और को ला न सके,
आँखों के आँसू तो सूख गये उन्हें देख कर,
लेकिन किसी और को देख कर हम मुस्कुरा न सके।।

1 comment

  1. Anonymous
    "Stop taking advantage of someone's helpless state,
    Smiling at someone's pain doesn’t make you great."।
    Best shayari writer✍️✍️
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