किसान, बकरा और तीन छलिया
पुराने ज़माने की बात है। एक सीधे-सादे किसान को उसकी ससुराल में खूब मान-सम्मान मिला। विदाई के समय ससुराल वालों ने उसे ढेर सारे प्यार के साथ एक तगड़ा, मजबूत बकरा भेंट किया। किसान ने बकरे को रस्सी से बाँधा और खुशी-खुशी अपने गाँव की ओर चल पड़ा।

रास्ता लम्बा था, सूरज आग बरसा रहा था, मगर किसान मन ही मन खुश था — सोच रहा था कि इस बकरे से वह दूध पायेगा या कभी ज़रूरत पड़ने पर बेचकर कुछ पैसे कमा लेगा।
इसी दौरान, उसी रास्ते से तीन चालाक ठग गुज़र रहे थे। दूर से उन्होंने किसान के कंधे पर बकरे को देखा और बकरा हड़पने की तरकीब सोच ली। उन्होंने योजना बनाई कि वे किसान को उसके अपने ही होशोहवास पर शक दिलाएँगे।
पहला ठग सबसे आगे जा कर खड़ा हो गया। जैसे ही किसान पास आया, ठग ने हैरानी से कहा — “अरे भाई! तुम जैसे भले किसान को ये क्या सूझी? एक गंदे कुत्ते को कंधे पर क्यों ढो रहे हो?”
किसान भौचक्का रह गया। बोला — “क्या कह रहे हो! ये तो बकरा है, जो मुझे उपहार में मिला है।”
ठग हँसते हुए बोला — “मुझे तो साफ़ कुत्ता दिख रहा है… पर तुम्हारी मर्जी।”
किसान थोड़ा असमंजस में पड़ गया, पर फिर सोचा, “कोई पागल होगा।” और आगे बढ़ गया।
कुछ ही दूर दूसरा ठग मिला। उसने भी वैसे ही ताज्जुब से कहा — “किसान भाई! तुम जैसे समझदार आदमी को ये शोभा देता है क्या? कुत्ते को कंधे पर लादे घूम रहे हो!”
अब किसान का मन सचमुच डगमगाने लगा। उसने बकरे को ध्यान से देखा, बकरा ही था… पर मन में शक की हल्की-सी परछाई उतर आई।
आखिर तीसरा ठग भी रास्ते पर मिला और उसने मुँह बनाते हुए कहा — “हे भगवान! इतना बड़ा पाप! गाँव का इज्ज़तदार आदमी होकर कुत्ता कंधे पर लिए घूम रहा है? लोग क्या कहेंगे?”
अब किसान पूरी तरह से उलझन में पड़ गया। तीन-तीन अलग-अलग लोगों ने एक ही बात कही थी — मन ने मान लिया कि शायद वह सच में कोई कुत्ता ही लिए चल रहा है।
डर और शर्म से काँपते हुए किसान ने जल्दी से बकरे को नीचे उतारा, पेड़ से बाँधा और बिना पीछे देखे गाँव की ओर भाग निकला।
जैसे ही किसान नज़रों से ओझल हुआ, तीनों ठग वहाँ पहुँचे, हँसते-हँसते बकरे को खोल लिया और अपने रास्ते हो लिए। शाम होते-होते बकरे की दावत भी उड़ाई और अपनी चालाकी पर खूब इतराए।
🧠कहानी से सीख
हर बार कही जाने वाली बात सच नहीं हो जाती। अगर तीन लोग भी कहें कि सूरज रात में उगता है — तब भी आँखें खोल कर खुद देखना ज़रूरी है। अपने विवेक पर भरोसा रखो, वरना दूसरों की चालाकी में फँस जाओगे।